અશોક: આવૃત્તિઓ વચ્ચેનો તફાવત

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[[Image:Mauryan_Empire_Map.gif|thumb|right|અશોક નું સામ્રાજ્ય]]
 
તેના જીવનકાળના ઉત્તરાર્ધમાં સમ્રાટ અશોક [[ગૌતમ બુદ્ધ]]નો ભક્ત બની ગયો અને ભગભાન બુદ્ધની સ્મૃતી માં તેણે એક સ્તમ્ભનુ નિર્માણ કર્યું જે આજે પણ [[નેપાળ]]માં ગૌતમ બુદ્ધના જન્મસ્થળ [[લુમ્બિની]]માં માયાદેવી મંદિર પાસે જોઇ શકાય છે.તેમણે તેણે [[બૌધ ધર્મ]]નો પ્રચાર [[ભારત]] ઉપરાંત [[શ્રીલંકા]],[[અફઘાનિસ્તાન]],[[પશ્ચિમ એશીયા]],[[મિસ્ર]] તથા [[યુનાન]]માં પણ કરાવ્યો હતો.
 
==આરંભિક જીવન==
अशोक मौर्य सम्राटઅશોક [[બિન્દુસાર|મૌર્ય સમ્રાટ બિન્દુસાર]] तथाતથા रानीરાણી धर्माધર્માનો काપુત્ર पुत्र था ।હતો. कहा जाता है कि धर्मा एक ब्राह्मण की बेटी थी । एक दिन उसको स्वप्न आया कि उसका बेटा एक बहुत बड़ा सम्राट बनेगा । उसके बाद उसे राजा बिन्दुसारબિન્દુસાર ने अपनी रानी बना लिया । चुँकि धर्मा कोई क्षत्रिय कुल से नहीं थी अतः उसको कोई विशेष स्थान राजकुल में प्राप्त नहीं था ।
 
अशोकઅશોકને के कई भाईઘણા ભાઈ-બહેન(સાવકા)-बहने थी હતા. बचपन में उनमें कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती थी । अशोक के बारे में कहा जाता है कि वो बचपन से सैन्य गतिविधियों में प्रवीण था ।
 
==સામ્રાજ્ય વિસ્તાર==
अशोकઅશોક का ज्येष्ठ भाई सुसीम उस समय तक्षशिला का प्रांतपाल था । तक्षशिला में भारतीय-यूनानी मूल के बहुत लोग रहते थे । इससे वह क्षेत्र विद्रोह के लिए उपयुक्त था । सुसीम के अकुशल प्रशासन के कारण भी उस क्षेत्र में विद्रोह पनप उठा । राजा बिन्दुसार ने सुसीम के कहने पर राजकुमार अशोक को विद्रोह के दमन के लिए वहाँ भेजा । अशोक के आने की खबर सुनकर ही विद्रोहियों ने उपद्रव खत्म कर दिया और विद्रोह बिना किसी युद्ध के खत्म हो गया । हंलांकि यहां पर बग़ावत एक बार फिर अशोक के शासनकाल में हुई थी पर इस बार उसे बलपूर्वक कुचल दिया गया ।
 
अशोकઅશોક के इस प्रसिद्धि पाने से उसके भाई सुसीम को सिंहासन न मिलने का खतरा बढ़ गया । उसने सम्राट बिंदुसार को कह के अशोक को निर्वास मे डाल दिया । अशोक कलिंग चला गया । वहां उसे मत्स्य कुमारी कौर्वकी से प्यार हो गया । हाल में मिले साक्ष्यों के अनुसार उसे बाद में अशोक ने तीसरी या दूसरी रानी बनाया था ।
 
इसी बीच उज्जैन में विद्रोह हो गया । उसे सम्राट ने निर्वासन से बुला विद्रोह को दबाने के लिए भेज दिया । हंला।कि उसके सेनापतियों ने विद्रोह को दबा दिया पर उसकी पहचान गुप्त ही रखी गई क्योंकि मौर्यों द्वारा फैलाए गए गुप्तचर जाल से उसके बारे में पता चलने के बाद उसके बाई सुसीम द्वारा उसे मरवाए जाने का भय था । वह बौद्ध सन्यासियों के साथ रहा था । इसी दौरान उसे बौद्ध विधि-विधानों तथा शिक्षाओं का पता चला था । यहाँ पर एक सुन्दरी जिसका नाम ''देवीદેવી'' था से उसे प्रेम हो गया जिसे उसने स्वस्थ्य होने के बाद विवाह कर लिया ।
 
कुछ वर्षों के बाद सुसीम से तंग आ चुके लोगों ने अशोक को राजसिंहासन हथिया लेने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि सम्राट बिन्दुसार वृद्ध तथा रुग्न हो चले थे ।
 
સત્તા પર આવતા જ અશોકે પૂર્વ અને પશ્ચિમ દિશામાં પોતાના રાજ્યનો ફેલાવો કર્યો. તેણે હાલના [[આસામ]]થી [[ઇરાન]]ની સરહદ સુધીનો વિસ્તાર ફક્ત આઠ વર્ષોમાં કરી લીધો હતો.
 
सत्ता सम्हालते ही अशोक ने पूर्व तथा पश्चिम दोनो दिशा में अपना साम्राज्य फैलाना शुरु किया । उसने आधुनिक [[આસામ]] से [[ઇરાન]] की सीमा तक साम्राज्य विस्तृत कर केवल आठ वर्षों में कर लिया ।
 
 
==કલિંગનુ યુધ્ધ==
 
[[કલિંગનુ યુધ્ધ]] અશોકના જીવન પરિવર્તન માટે નિર્ણાયક સાબિત થયું. આ યુધ્ધમાં થએલા માનવસંહારે તેનું મન ગ્લાનિ અને વેદનાથી ભરાઇ ગયુ. પછીથી બૌદ્ધ ધર્મથી પ્રભાવિત થઇ તેને બૌદ્ધ ધર્મ અંગિકાર કર્યો હતો. ત્યારબાદ તેના પ્રજાવત્સલ કાર્યોને કારણે તે પ્રિયદર્શી તરીકે ઓળખાય છે.
 
==બૌદ્ધ ધર્મ અંગીકરણ==
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बौद्ध धर्म स्वीकीर करने के बाद उसने उसको अपने जीवन मे उतारने की कोशिश भी की । उसने शिकार तथा पशु-हत्या करना छोड़ दिया । उसने ब्राह्मणो तथा अन्य सम्प्रदायों के सन्यासियों को खुलकर दान दिया । जनकल्याण के लिए उसने चिकित्यालय, पाठशाला तथा सड़को आदि का निर्माण करवाया ।
 
તેને બૌદ્ધ ધર્મના પ્રચાર માટે પોતાના ધર્મ પ્રચારક [[નેપાલ]], [[શ્રીલંકા]], [[અફગાનિસ્તાન]], સીરિયા, મિસ્ર અને યુઆનયુનાન સુધી મોકલ્યા હતા.
 
==અવસાન==
"https://gu.wikipedia.org/wiki/અશોક" થી મેળવેલ